अल्मोड़ा के वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य पंडित डा मदन मोहन पाठक ने सावित्री व्रत के बारे में उपज रही गलत धारणा को जनमानस के मन से दूर करने हेतु हमें बिस्तार से यह जानकारी बताई है कि यह वर्त वास्तव में तीन दिनों का होता है और इसके शुभारंभ का उचित समय द्वादशी को सांयकाल में जिस दिन त्रयोदशी तिथि हो से आरंभ करके तीन दिनों तक यह व्रत चलता था पर धीरे धीरे इसे अब एक ही दिन मनाने की प्रथा प्रायः चल गई है और यह उपवास हमेशा चतुर्दशी युक्त अमावस्या में किया जाता है व्रहमवैवर्त पुरूषार्थ चिंतामणि और धर्म सिंधु आदि के रचियताओ ने स्पष्ट शब्दों में कहा है चतुर्दशी विद्धा में चतुर्दशी की व्याप्ति सूर्योदय से कमसे कम तीन मुहुर्त और अमावस्या की व्याप्ति सूर्यास्त से से पूर्व कमसे कम तीन मुहुर्त होना आवश्यक है इस पर गहन विचार मंथन करने पर स्पष्ट है कि वट सावित्री व्रत 29/5/2022 को ही मनाया जाएगा यही शास्त्र सम्मत है तारा प्रसाद दिव्य पंचाग के सम्पादक डा रमेश जोशी जी वरिष्ठ पंचागकार ने सभी पंचांगों से इस में एक रुपता लाने के लिए निवेदन भी किया था किन्तु एकरूपता न बनने से समाज भ्रमित हो रहा है मेरा सभी धर्मावलम्बीयों से अनुरोध है संशय छोड़ कर विना भ्रमित हुए वट सावित्री व्रत को 29/5/2022 रविवार को मनाएं।