अल्मोड़ा, 21 नवंबर 2025
अल्मोड़ा जनपद के दूरस्थ स्वास्थ्य इकाइयों में नवजात शिशुओं की स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए शोबन सिंह जीना राजकीय आयुर्विज्ञान एवं शोध संस्थान, अल्मोड़ा में तीन दिवसीय क्षमता विकास कार्यशाला सफलतापूर्वक सम्पन्न हुई।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) और मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO), अल्मोड़ा के सहयोग से आयोजित इस विशेष प्रशिक्षण में जिलेभर के 30 चिकित्सा एवं नर्सिंग अधिकारियों ने सहभागिता की।
नवजात शिशु प्रबंधन पर मिला गहन व व्यवहारिक प्रशिक्षण
कार्यशाला में प्रतिभागियों को नवजात शिशु जीवन रक्षा (Neonatal Resuscitation) सहित नवजात शिशुओं की प्राथमिक देखभाल, आपातकालीन प्रबंधन और रेफरल को कम करने हेतु आवश्यक कौशलों पर विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया।
संस्थान के शिशु एवं बाल रोग विभागाध्यक्ष एवं चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अमित कुमार सिंह ने बताया कि
“इस प्रशिक्षण का उद्देश्य भारत सरकार के दिशानिर्देशों के अनुरूप प्राथमिक स्तर पर नवजात शिशु प्रबंधन को मजबूत करना है। इससे ग्रामीण व दूरस्थ क्षेत्रों के माता-पिता को स्थानीय स्तर पर ही गुणवत्तापूर्ण उपचार उपलब्ध हो सकेगा।”
प्रशिक्षण के दौरान डॉ. गौरव पांडे, डॉ. हर्ष गुप्ता और डॉ. नौशीन ने प्रतिभागियों को विभिन्न विषयों पर सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक अभ्यास कराए।
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जनपद भर से आया उत्साहपूर्ण सहभाग
जनपद के विभिन्न विकासखंडों से पहुंचे चिकित्सकों एवं नर्सिंग अधिकारियों—
डॉ. अखिलेश आर्य, डॉ. आरती प्रभा, सीमा सिजवाली, डॉ. नेहा नपच्याल, रीता कर्मियाल, डॉ. करण कुमार, दीपा सहित कई स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं ने सक्रिय भागीदारी निभाई।
समापन सत्र में सभी प्रशिक्षार्थियों को राजकीय मेडिकल कॉलेज, अल्मोड़ा द्वारा प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए।
कार्यक्रम की सफलता में टीम का सराहनीय योगदान
कार्यक्रम को सफल बनाने में बाल रोग विभाग के रेजिडेंट चिकित्सकों—
डॉ. शुभम चौहान, डॉ. गौरव, डॉ. तुषार सक्सेना, डॉ. उजमा, डॉ. शाहरुख,
नर्सिंग इंचार्ज नीलिमा पीटर, नर्सिंग अधिकारी एकता सिंह, पूजा,
हेल्थ एजुकेटर प्रियंका बहुगुणा,
समाज कल्याण अधिकारी अतुल कांत,
तथा राहुल जोशी, दीपक बहुगुणा, संदीप, मनोज मेहरा आदि का महत्वपूर्ण सहयोग रहा।
निष्कर्ष
यह कार्यशाला अल्मोड़ा जनपद में नवजात शिशुओं की स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक दक्ष, सुरक्षित और प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित होगी। निश्चय ही इससे नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी तथा आपात स्थिति में जीवन रक्षा के अवसर बढ़ेंगे।






