Thursday, May 29, 2025
Devbhoomi News service
Advertisement
  • उत्तराखंड
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • ज्योतिष
  • धार्मिक
  • खेल
  • मौसम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • रोजगार
  • कृषि
  • व्यापार
No Result
View All Result
  • उत्तराखंड
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • ज्योतिष
  • धार्मिक
  • खेल
  • मौसम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • रोजगार
  • कृषि
  • व्यापार
No Result
View All Result
Devbhoomi News service
No Result
View All Result

January 5, 2025

देह शिवा बर मोहि ईहै सुभ करमन ते कबहूं ना टरो

News Deskby News Desk
in उत्तराखंड
0
देह शिवा बर मोहि ईहै सुभ करमन ते कबहूं ना टरो
Spread the love

गुरु गोविंद सिंह जयंती पर विशेष

देह शिवा बर मोहि ईहै सुभ करमन ते कबहूं ना टरो

 

(सरदार मनजीत सिंह-विनायक फीचर्स)

दशम पिता श्री गुरु गोविंद सिंह जी सर्वस्वदानी ,संत सिपाही,अमृत के दाता थे। श्री गुरु गोविंद सिंह जी का जीवन संघर्ष, कुर्बानी, तपस्या और मानवता की सेवा की जीती जागती मिसाल है,इसी कारण उन्हें संत और सिपाही दोनों ही उपमाएं एक साथ दी जाती हैं। उन्होंने समाज में ऊंच नीच को समाप्त करने और समुचित मानवता की सेवा का संदेश दिया।

पटना बिहार में सन् 1666 में श्री गुरु गोविंद सिंह जी का जन्म जिस समय हुआ उस समय सबसे पहले मुसलमान फकीर सैयद भिकन शाह ने सुदूर अंतरिक्ष में एक अद्भुत ज्योति का पुंज देखा। उसने पंजाब में रहते हुए बिहार में जन्में इस फरिश्ते के आगे सजदा किया और कहा कि खुदाबंद ने इस जमीन पर कोई नई रोशनी भेजी है। किसी अवतार ने जन्म लिया है। कोई पीर,बली या गुरु दुनिया के दुखों का निवारण करने आया है।

*श्री गुरु गोविंद सिंह जी की बाल लीला*

उनका बचपन पटना में गंगा के किनारे बीता। एक बार जब गंगा के किनारे गए तो हाथ का सोने का कड़ा उतार नदी में फेंक दिया और माता जी से भी कह दिया कि कड़ा गंगा में फेंक दिया। माता ने जब पूछा कि चल बता कहां फेंका तो माताजी के साथ जाकर दूसरा सोने का कड़ा भी उसी जगह फेंक दिया और कहा कि वहां फेंका था। इस घटना से गुरु गोविंद सिंह जी ने दुनिया को बाल अवस्था में ही बता दिया कि मैं दुनिया को देने आया हूं दुनिया से कुछ लेने नहीं।

श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने दुनिया को संदेश दिया कि धर्म कुछ इस तरह हो कि कोई भी आए लेकिन आपकी जपने वाली माला ना छीन सके। हर धर्म,हर मजहब को आजादी होनी चाहिए अपने धर्म को मानने की। अपनी इबादत की, पूजा की। हर धर्म, हर मजहब अपने रीति रिवाज के साथ आजादी से जी सके इसके लिए जुल्म के खिलाफ चाहे हथियार उठाने भी पड़े तो तैयार रहना चाहिए ।

पटना साहिब से पूर्व पटना का नाम पाटलिपुत्र था जहां सम्राट अशोक ने बहुत सी जंग लड़ने के बाद तलवार को गंगा में फेंक दिया था। उसी गंगा के किनारे गुरु गोविंद सिंह जी ने तलवार उठाकर ऐलान किया था अत्याचार और जुल्म का विरोध करने तथा धर्म की रक्षा करने का। उनका कहना था कि धर्म की रक्षा के लिए अगर तलवार और शस्त्र भी उठाने पड़े तो उठाने चाहिए। गुरु गोविंद सिंह जी ने कहा कि मैं केवल धर्म का प्रचार करने के लिए शांति चाहता हूं। गुरु गोविंद सिंह जी ने संकल्प लिया कि वे राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक किसी भी प्रकार की गुलामी स्वीकार नहीं करेंगे

जब पंडित कृपाराम के नेतृत्व में 500 ब्राह्मण कश्मीर से चलकर गुरु तेग बहादुर जी के पास आए और अपनी दुखदाई अवस्था बताई और कहा कि हमें ज़बरदस्ती मुसलमान बनाया जा रहा है, हमारा धर्म खतरे में है। तब गुरु तेग बहादुर जी ने कहा कि धरती पर एक ऐसा इंसान ढूंढ के ले आओ जो मौत से ना डरता हो तब गुरु गोविंद सिंह जी ने जिनकी उम्र उस समय सिर्फ 9 साल की थी कहा कि वह तो धरती पर फिर आप ही हैं।

ऐसे महान गुरु तेग बहादुर जी की शहादत के बाद गुरु गोविंद सिंह जी गुरु गद्दी पर बैठे। उस समय चारों तरफ मुगलों का अत्याचार था। उस अत्याचार के खिलाफ उठ खड़े होने के लिए गुरु गोविंद सिंह जी ने 1699 में बैसाखी वाले दिन अमृत पान कर खालसा पंथ सजाया। गुरु गोविंद सिंह जी ने 14 लड़ाइयां लड़ी। वे कलम के भी सिपाही थे । उन्होंने अनेक ग्रंथ लिखे। दशम पिता श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने इस देश धर्म के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया।

गुरु गोविंद सिंह जी ने नई व्यवस्था शुरू की। उन्होंने कहा ना कोई बड़ा होगा ना कोई छोटा। सिख इतिहास कुर्बानियों से भरा हुआ है। गुरु गोविंद सिंह जी ने इस देश और धर्म को अन्याय और अत्याचार से बचाने के लिए अनेक लड़ाइयां लड़ी

देश में देशभक्ति की भावना को जगाने के लिए चारों साहिबजादों की शहादत, गुरु गोविंद सिंह जी का त्याग, पिता का बलिदान और सिख गुरुओं के संदेश को याद रखना बहुत आवश्यक है। 239 साल तक सिख गुरुओं ने इस धरती पर रहकर अपनी तपस्या, शहादत और कुर्बानी से देश और धर्म की रक्षा की। 1708 में श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने शरीर त्यागने से पहले देह गुरु की प्रथा को समाप्त किया और श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को ही गुरु बताया।(विनायक फीचर्स)

Previous Post

मुकेश चंद्राकर-सच लिखने के इनाम में मिली सैप्टिक टैंक में मौत

Next Post

अल्मोड़ा पुलिस के थाना सल्ट ने पोस्टर चस्पा कर नशे के दुष्परिणामों से जनमानस को किया जागरूक 

Search

No Result
View All Result

ताज़ा खबरें

  • 📰 बद्रेश्वर वार्ड में बढ़ती असामाजिक गतिविधियों पर पार्षद जानकी पांडे ने SSP को सौंपा ज्ञापन
  • 🩸✨ “मेरी सहेली” बनी मासिक धर्म स्वच्छता जागरूकता की संवेदनशील आवाज – अल्मोड़ा में ऐतिहासिक आयोजन ✨🩸
  • दैनिक राशिफल एवं पंचांग आइये जानते हैं कैसा रहेगा आपका दिन
  • आइये जानते हैं कैसा रहेगा आपका दिन दैनिक राशिफल एवं पंचांग
  • शनि जयंती पर विशेष आइये जानते हैं कैसा रहेगा आपका दिन

Next Post
अल्मोड़ा पुलिस के थाना सल्ट ने पोस्टर चस्पा कर नशे के दुष्परिणामों से जनमानस को किया जागरूक 

अल्मोड़ा पुलिस के थाना सल्ट ने पोस्टर चस्पा कर नशे के दुष्परिणामों से जनमानस को किया जागरूक 

न्यूज़ बॉक्स में खबर खोजे

No Result
View All Result

विषय तालिका

  • Uncategorized
  • अपराध
  • आरोग्य
  • उत्तराखंड
  • कृषि
  • केरियर
  • खेल
  • ज्योतिष
  • देश
  • धार्मिक
  • मनोरंजन
  • महाराष्ट्र
  • मुंबई
  • मौसम
  • राजनीति
  • रोजगार
  • विदेश
  • व्यापार
  • शिक्षा

सम्पर्क सूत्र

मदन मोहन पाठक
संपादक

पता : हल्द्वानी - 263139
दूरभाष : +91-9411733908
ई मेल : devbhoominewsservice@gmail.com
वेबसाइट : www.devbhoominewsservice.in

Privacy Policy  | Terms & Conditions

© 2021 devbhoominewsservice.in

No Result
View All Result
  • उत्तराखंड
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • ज्योतिष
  • धार्मिक
  • खेल
  • मौसम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • रोजगार
  • कृषि
  • व्यापार

© 2022 Devbhoomi News - design by Ascentrek, Call +91-8755123999