अल्मोड़ा के वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य पंडित डा मदन मोहन पाठक ने बताया की स्कंद पुराण मैं प्रदोष व्रत के बारे में संपूर्ण जानकारी दी हुई है यह व्रत भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए किया जाता है इस व्रत को करने से मनुष्य के जीवन में दुख दरिद्रता दूर होती है धन-धान्य स्त्री पुत्र बंधु बांधव और सुख संपत्ति सदैव बढ़ते रहते हैं घर में किसी प्रकार का कोई क्लेश हो तो वह क्लेश भी दूर हो जाता है पति पत्नी के आपस में अगर न बन रही हो तो प्रदोष के उपवास करने से इन दोनों के मध्य मित्रवत व्यवहार शुरू हो जाता है अगर संतान पढ़ाई में मन नहीं लगा रही है तो प्रदोष के व्रत करने से संतान पढ़ाई की ओर मन लगाने लग जाती है अगर किसी को कोई असाध्य रोग है किसी प्रकार का कोई शारीरिक कष्ट है तो प्रदोष के व्रत करने मात्र से उसका वह कष्ट दूर हो जाता है यह व्रत भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए प्रभुत्व की प्राप्ति के लिए किया जाता है कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों में त्रयोदशी के दिन व्रत किया जाता है शिवपूजन और रात्रि भोजन के अनुरोध से इसे प्रदोष कहा जाता है इस व्रत में भोजन सूर्यास्त के बाद ही किया जाता है तभी इसे प्रदोष व्रत के रूप से जाना जाता है जो व्यक्ति भगवान शिव शंकर के चरण कमलों का अनन्य भाव से आश्रय ले लेता है उस व्यक्ति के जीवन में सारे दुख दर्द दूर हो जाते हैं और उसे प्रभु शिव की कृपा प्राप्त होती है प्रदोष व्रत प्रदोष व्यापिनी परविद्धा त्रयोदशी में लिया जाता है उस दिन सूर्यास्त के समय फिर से एक बार स्नान करके शिव मूर्ति के समक्ष शिव की मूर्ति के समक्ष पूर्वा भिमुख होकर हाथ में पत्र पुष्प फल जल गंध अक्षत लेकर भगवान शिव की पूजा की जाती है और भगवान को गंध अक्षत भस्म रुद्राक्ष माला इत्यादि धारण करानी चाहिए ॐ हराय नमः ,ॐ शूल पाणये नमः ॐ पिनाकपाणये नमः ओम शिवाय नमः ओम पशुपतये नमः इन मंत्रों से भगवान कृपासिंधु भगवान भक्तवत्सल भगवान शिव की आराधना करनी चाहिए ॐ महादेवाय नमः ऐसा करने से मनुष्य के जीवन में सुख शांति और समृद्धि प्राप्त होती है उसके अगले दिन चतुर्दशी को प्रातः काल नहा धोकर किसी साधु संतों को भोजन कराएं अन्न वस्त्र दान करें तो इससे यह व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है जिन लोगों के जीवन में परेशानियां आ रही हैं कष्ट आ रहे हैं दुख आ रहे हैं वह श्रद्धा भक्ति पूर्वक प्रदोष का व्रत करें और अनन्य भाव से भगवान शिव की आराधना करें और लगातार अविरल गति से ओम नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय ॐ नमः शिवाय इस मंत्र का जप करते रहे
सभी धर्मो में उपवास का महत्वपूर्ण स्थान है व्रत से मनुष्य की अंतरात्मा शुद्ध होती है इससे ज्ञान शक्ति विचार शक्ति बुद्धि श्रद्धा मेधा भक्ति तथा पवित्रता की वृद्धि होती है अकेला एक उपवास सैकड़ों रोगों का संहार करता है नियमानुसार श्रद्धा भक्ति से उपवास करने से उत्तम स्वास्थ्य एवं दीर्घायु की प्राप्ति होती है






