पिथौरागढ़ गीता जोशी की कविताएं अपने आप में प्रेरणादायक हैं गीता जोशी अपनी रचनाओं को बहुत ही मेहनत से लिखतीं है आइए उककी एक कृति पर नजर डालें “कहां गये अब इतनी फुर्सत कौन लिखेगा अफ़साने।
दिल की बात रहेगी दिल में कौन सुनेगा अफसाने ।
कहां गए वह धागे जो जख्मों को सीते थे।
कहां गए वह हाथ जो ना कभी रहे रीते से।
कहां गए वह दिन जो कहीं पर मातम होता था।
कई दिनों तक बाजू वाला चूल्हा रोता था ।
कहां गया वह सावन जो झर-झर मोती बरसाता था।
कहां गया वह श्यामल घन जो राग मल्हार सुनाता था।
कहां गई वह परियां जो सपनों में आती थी ।
उड़न खटोले पर बैठा सारी दुनिया दिखलाती थी ।
कहां है वह भोला बचपन जो नींद चैन की सोता था।
फूलों से नाजुक कंधों पर बोझ न कोई होता था ।
नन्हीं नन्हीं खुशियां नन्हे स्वप्न सलोने होते थे।
पास हमारे जाने कितने जादू टोने होते थे ।
वक्त भी तब बिंदास था रुक जाया करता था।
वह भी तो कुछ वक्त हमारे साथ बिताया करता था।
पर यह सब अब एक सुहाने सपने जैसा लगता है ।
अब कहां किसी को कोई भी अपने जैसा लगता है ।
अपने -अपने सुख-दुख अपने मन में लेकर सोते हैं।
जाने कितने भारी-भरकम बोझ दिलों पर ढोते है।”
गीता जोशी
पिथौरागढ़ ,उत्तराखंड






