अल्मोड़ा सुप्रसिद्ध वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य पंडित डॉक्टर मदन मोहन पाठक ने अमावस्या तिथि पर कुछ महत्वपूर्ण सावधानी बरतने और अमावस्या का महत्व समझाते हुए जन मानस को बताया कि अमावस्या तिथि माह में एक बार आती है। शास्त्रों के अनुसार अमावस्या तिथि का स्वामी पितृदेव को माना गया है। अमावस्या की विशेषता यह है कि इस दिन चन्द्र नहीं दिखाई देता अगर सीधे शब्दों में कहा जाय तो जिसका क्षय और उदय नहीं होता है ऐसी तिथि को अमावस्या कहा जाता है इसी कारण इसे ‘कुहू अमावस्या’ के नाम से भी जाना जाता है । शास्त्रों के ज्ञाताओं के अनुसार विशेष कर चौदस, अमावस्या और प्रतिपदा उक्त तीन दिनों तक पवित्र और सतोगुणी बने रहने में ही कल्याण है यह एक अद्भुत संयोग है इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों एक साथ रहते हैं अर्थात यह सूर्य और चंद्रमा के मिलन का अद्भुत संगम है।शास्त्रों में अमा के अनेक नाम आए हैं, जैसे अमावस्या, सूर्य-चन्द्र संगम, पंचदशी, अमावसी, अमावासी या अमामासी। भौमवती अमावस्या, सोमवती अमावस्या, आषाढ़ी अमावस्या, मौनी अमावस्या, शनि अमावस्या, हरियाली अमावस्या, कार्तिक (दीपावली) अमावस्या, सर्वपितृ अमावस्या आदि मुख्य अमावस्या होती है। अमावस्या के दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के समस्त दुख समाप्त होते हैं किसी भी अमावस्या पर हरिद्वार, सहित समस्त तीर्थ स्थलों और पवित्र नदियों पर स्नान करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन पीपल की परिक्रमा करके पीपल तथा श्रीहरि विष्णु का पूजन करने का भी प्रावधान है। इस दिन देव ऋषि पित्र तर्पण करें सुयोग्य वेदपाठी ब्राह्मणों को अन्न दान- भूमि दान गोदान सहित दक्षिणा देने का अक्षय फल प्राप्त होता है । अमावस्या के दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन शराब आदि नशे से दूर रहना चाहिए। इस दिन मैथुन करना सख्त मना है इस दिन पित्र तर्पण एवं दान करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं

