Tuesday, December 9, 2025
Devbhoomi News service
Advertisement
  • उत्तराखंड
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • ज्योतिष
  • धार्मिक
  • खेल
  • मौसम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • रोजगार
  • कृषि
  • व्यापार
No Result
View All Result
  • उत्तराखंड
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • ज्योतिष
  • धार्मिक
  • खेल
  • मौसम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • रोजगार
  • कृषि
  • व्यापार
No Result
View All Result
Devbhoomi News service
No Result
View All Result

May 24, 2024

हिमालय के वन्य जीव तेजी से हो रहें हैं विलुप्त, घुरड़ ,काकड़ ,कस्तूरी मृग सहित वन्य जीवों का अस्तित्व खतरे में

News Deskby News Desk
in उत्तराखंड
0
Spread the love


दीपक नौगांई – विनायक फीचर्स

पहाड़ी क्षेत्रों के संदर्भ में विकास के कथित मॉडल को पहाड़ के लोगों के उत्थान से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन स्थानीय जैव विविधता से खेलकर बनायी जा रही सड़कें, बाँध व कंक्रीट के बढ़ते जंगल दरअसल विकास की दोषपूर्ण अवधारणा की उपज है। उत्तराखण्ड के संदर्भ में भले ही सरकार में विकास की बड़ी-बड़ी बातें करे, पर एक कटु सच यह भी है कि विकास की कोई भी रणनीति जो पहाड़ की जैविक संपदा को नुकसान पहुंचाती हो , पहाड़ का विकास कर ही नहीं सकती।

हिमालय ने देश के उत्तरी भाग में जीवन और सभ्यता के विकास के लिए आवश्यक जलतंत्र की रचना सहित वन और जैव संपदा के विशाल भंडार से हमें नवाजा है,  लेकिन बीते कुछ दशकों में हमने अपने हितों के लिए जिस बेरहमी से हिमालय और उसकी उपत्यकाओं से अंधाधुंध छेड़छाड़ की, उसी का परिणाम है कि आज कई वन्य जीवों की प्रजातियां या तो पूरी तरह से लुप्त हो गई है या फिर विलुप्ति की कगार पर है।

उत्तराखण्ड के संदर्भ में जिन पशु पक्षियों के जीवन पर वन व वनस्पतियों के विनाश,  मौसम परिवर्तन,  जंगल की आग, हिम रेखा के सिकुडऩे,  भोजन की कमी तथा  वन तस्करों की बढ़ती सक्रियता के कारण संकट उत्पन्न हुआ है  उनमें  हिमबाघ, गुलदार, कस्तूरी मृग, भालू,  जंगली सुअर,  काकड़,  घुरड़,  जंगली मुर्गी,  मोनाल, चितराल , जंगली बिल्ली,  खरगोश,  चकोर, बटेर , मछलियों मे महासीर आदि शामिल हैं।

वन पक्षी एवं पशु संरक्षण अधिनियम, भारतीय वन अधिनियम,  वन्य जीव संरक्षण अधिनियम आदि कई कानून जंगल के जानवरों की सुरक्षा के लिये बने हैं परन्तु कथित विकास के सामने ये तमाम कानून बेअसर है। पहाड़ी क्षेत्रों में हो रहे सड़क व बाँध निर्माण तथा पर्यटन विकास के नाम पर हो रहे कार्यों से जहाँ पहले से ही अस्थिर भू क्षेत्र में अनेक खतरे पैदा हो रहे हैं,  वही कभी हजारों की संख्या में पाई जाने वाली विशिष्ट हिमालयी प्राणियों की नस्लें लुप्त होने को अभिशप्त हैं।

हिमालय में मौसम परिवर्तन तथा वन्य क्षेत्र में मानव की बढ़ती दखलंदाजी की सर्वाधिक मार हिमबाघ पर पड़ी है।

ऊपरी हिम आच्छादित क्षेत्र में हिमबाघ अब दिखाई नहीं देते। अस्सी के दशक में उत्तराखण्ड मेें छह हिमबाघ पाए जाने की सूचना वन विभाग के पास थी। इसी तरह भागीरथी, मंदाकिनी व अलकनंदा के जल ग्रहण क्षेत्र में पाई जाने वाली जंगली बिल्ली व पैंथर भी अब दिखलाई नहीं देते। घटते वन क्षेत्र,  नदियों से छेड़छाड़,  अवैध अतिक्रमण, तथा मानव प्रभाव से भयभीत ये वन्य जीव लुप्त होने को बाध्य है। यदि सरकार ने समय रहते गंभीरता से इनके संरक्षण के प्रयास किए होते तो ये जीव आज हिमालय के अपने प्राकृतिक आवासों पर विचरण रहे होते।

अनेक सुन्दर हिमालयी जीव अपने को जीवित रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इन्ही में से एक है उत्तराखण्ड का राज्य पशु कस्तूरी मृग। इसकी नाभि में मौजूद सुगंधित कस्तूरी के कारण इसका बहुत महत्व है पर यह कस्तूरी ही इस खूबसूरत जीव के विनाश का कारण बन रही है। एक कस्तूरी मृग से एक समय में 25 से 30 ग्राम कस्तूरी प्राप्त होती हैं,  जिसकी कीमत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में लाखों में है। यही कारण है कि यह खूबसूरत मृग शिकारियों द्वारा मारे जा रहे हैं। कभी पहाड़ में इनकी अच्छी खासी संख्या थी पर आज ये अंगुलियों में गिनने लायक रह गए हैं। जाड़ों में भारी हिमपात के कारण मृग निचले इलाकों में चलें आते है और आसानी से मारे जाते है।

हिमालय की ऊँची पहाडियों में भूरा भालू और लाल लोमड़ी भी देखी गई थी पर आज शायद ही कभी किसी को ये दिखलाई देते हो। सड़क निर्माण के लिए हो रहे विस्फटकों की भयावह आवाज से भयभीत वन्य जीव पलायन को विवश है। प्रतिकूल परिस्थितियों को सहनकर जो विजयी है,  वही जीवित भी है। जंगली बकरा भी विलुप्त होने के कगार पर है। यह बुरांस तथा बेतुला के वृक्षों से आच्छादित जंगल में रहना पसंद करता है पर मानवीय हस्तक्षेप और हर साल जंगलों में आग लगने से कई वन्य जीवों की तरह यह जीव भी जल कर मरने को शापित है।

अगर गुलदार और बाघ की बात करें तो ये नरभक्षी हो चले हैं। बीते सालों में इन हिंसक जानवरों द्वारा मनुष्य पर हमलों की घटनाएं काफी बढ़ गई है। यह घरों से बच्चों को उठाकर ले जा रहे हैं। जंगल में घास व लकड़ी की तलाश में जा रही महिलाओं को अपना शिकार बना रहे है। इसका मुख्य कारण यह है कि जंगल में न तो इनके लिए सघन वन क्षेत्र रह गया है और न ही शिकार के लिए पर्याप्त जानवर।

घुरड़, हिरन, जड़ाव, जंगली सूअर और जंगली मुर्गी का शिकार चोरी छिपे किया जाता है। वन विभाग इसे रोकने में प्राय: असमर्थ है। कहीं संसाधनों की कमी है  तो कहीं मैनपावर की। एक अन्य रक्षित प्रजाति का जीव हिमालयी थार भी अस्तित्व की अंतिम लडाई लड़ रहा है। 90 से 100 सेमी ऊँचे इस जीव का वजन सौ किलो से अधिक होता है। यह भी अब विलुप्त हो रही प्रजातियों की लिस्ट में है। अधिकांश वन्य जीव अब राष्ट्रीय अभ्यारण्यों तक ही सीमित होकर रह गये हैं। इनकी संख्या कम होती देखकर लगता है कि उजडऩा और होना ही वन्य जीवों की नियति बन कर रह गई है। यह क्रम जारी रहा तो एक दिन हिमालय की घाटियों में पशु पक्षियों के कलरव व चहचहाट के स्थान पर केवल सन्नाटा ही सुनाई देगा।

Previous Post

तालाब में डूबे हुए व्यक्ति का शव हुआ बरामद

Next Post

धौलछीना पुलिस ने राजकीय इंटर कॉलेज पेटसाल के छात्र-छात्राओं को नशे के दुष्परिणामों के प्रति किया जागरुक

Search

No Result
View All Result

ताज़ा खबरें

  • दैनिक राशिफल एवं पंचाग आइए जानते हैं कैसा रहेगा आपका दिन
  • दैनिक राशिफल एवं पंचाग आइए जानते हैं कैसा रहेगा आपका दिन
  • अनियंत्रित होकर खाई में गिरी मैक्स, घायलों को द्वाराहाट पुलिस ने स्थानीय लोगों की मदद से किया रेस्क्यू
  • दैनिक राशिफल एवं पंचाग आइए जानते हैं कैसा रहेगा आपका दिन
  • जिलाधिकारी ने राजकीय पुस्तकालय के सुधार कार्यों की प्रगति पर संतोष जताया; विद्यार्थियों ने थैंक्यू कार्ड व पोस्टर भेंट कर किया सम्मान

Next Post

धौलछीना पुलिस ने राजकीय इंटर कॉलेज पेटसाल के छात्र-छात्राओं को नशे के दुष्परिणामों के प्रति किया जागरुक

न्यूज़ बॉक्स में खबर खोजे

No Result
View All Result

विषय तालिका

  • Uncategorized
  • अपराध
  • आरोग्य
  • उत्तराखंड
  • कृषि
  • केरियर
  • खेल
  • ज्योतिष
  • देश
  • धार्मिक
  • मनोरंजन
  • महाराष्ट्र
  • मुंबई
  • मौसम
  • राजनीति
  • रोजगार
  • विदेश
  • व्यापार
  • शिक्षा

सम्पर्क सूत्र

मदन मोहन पाठक
संपादक

पता : हल्द्वानी - 263139
दूरभाष : +91-9411733908
ई मेल : devbhoominewsservice@gmail.com
वेबसाइट : www.devbhoominewsservice.in

Privacy Policy  | Terms & Conditions

© 2021 devbhoominewsservice.in

No Result
View All Result
  • उत्तराखंड
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • ज्योतिष
  • धार्मिक
  • खेल
  • मौसम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • रोजगार
  • कृषि
  • व्यापार

© 2022 Devbhoomi News - design by Ascentrek, Call +91-8755123999