अल्मोड़ा, 9 मई 2025 | विशेष संवाददाता
“छत सिर्फ ईंट और सीमेंट नहीं होती, यह सम्मान, सुरक्षा और आत्मसम्मान का प्रतीक है।” — यही संदेश अल्मोड़ा के जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय ने आज कलेक्ट्रेट सभागार में नगर निकायों की समीक्षा बैठक में स्पष्ट शब्दों में दिया।
बैठक केवल एक प्रशासनिक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि इसमें आवासविहीनों के सपनों, शासन की नीतियों और ज़मीनी हकीकत के बीच संतुलन बनाने की ठोस कोशिश दिखी।
फोकस में रहा – ‘हर पात्र को आवास’
जिलाधिकारी ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि जनपद के आवासविहीन परिवारों की पहचान प्राथमिकता के आधार पर शीघ्र की जाए। उन्होंने दो टूक कहा —
“किसी अपात्र को लाभ मिलना प्रशासन की विफलता होगी, और किसी पात्र व्यक्ति का वंचित रह जाना व्यवस्था की असंवेदनशीलता। दोनों बर्दाश्त नहीं होंगे।”
मलिन बस्तियों पर भी तीखा रुख
बैठक में मलिन बस्तियों के चिह्नीकरण और श्रेणीकरण की प्रगति की भी गहन समीक्षा हुई। जिलाधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी के स्पष्ट निर्देश हैं कि कोई भी परिवार असुरक्षित या अमानवीय हालात में न रहे। ऐसे में मलिन बस्तियों के सुनियोजित पुनर्विकास और उन्नयन की प्रक्रिया तेज की जाए।
नीति और मानवीयता का मेल
श्री पांडेय ने यह भी कहा कि सभी अधिकारी संवेदनशीलता, पारदर्शिता और जिम्मेदारी के साथ कार्य करें। “योजनाएं केवल फाइलों में नहीं, ज़िंदगियों में असर दिखाएं,” उन्होंने जोड़ा।
बैठक में रहे मौजूद:
इस समीक्षा बैठक में उपजिलाधिकारी श्री संजय कुमार, सहायक नगर आयुक्त श्री भरत कुमार त्रिपाठी, और नगर निकायों के अन्य अधिकारीगण शामिल रहे।
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निष्कर्ष:
यह बैठक इस बात की बानगी रही कि अल्मोड़ा प्रशासन अब ‘तथ्यों से आगे बढ़कर फील्ड में बदलाव’ की ओर बढ़ रहा है — जहां योजनाएं काग़ज़ों से निकलकर लोगों की ज़िंदगी बदलने की दिशा में कार्यरत हैं।

