Sunday, June 15, 2025
Devbhoomi News service
Advertisement
  • उत्तराखंड
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • ज्योतिष
  • धार्मिक
  • खेल
  • मौसम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • रोजगार
  • कृषि
  • व्यापार
No Result
View All Result
  • उत्तराखंड
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • ज्योतिष
  • धार्मिक
  • खेल
  • मौसम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • रोजगार
  • कृषि
  • व्यापार
No Result
View All Result
Devbhoomi News service
No Result
View All Result

June 14, 2025

तीसरे विश्व युद्ध की आहट तो नहीं है इज़राइल-ईरान संघर्ष

News Deskby News Desk
in Uncategorized
0
तीसरे विश्व युद्ध की आहट तो नहीं है इज़राइल-ईरान संघर्ष
Spread the love

(नरेन्द्र शर्मा परवाना-विभूति फीचर्स)

एक ओर पश्चिम के समर्थन और तकनीकी ताकत के साथ युद्ध मैदान में इज़राइल है तो दूसरी ओर धार्मिक क्रांति का नेतृत्व करता हुआ, एशियाई भू-रणनीतिक गठजोड़ में मजबूत ईरान है। इन दोनों राष्ट्रों के बीच वर्षों से सुलगती दुश्मनी जून 2025 में चरम पर पहुंची तो, इज़राइल ने ईरान के संवेदनशील परमाणु और सैन्य ठिकानों पर बमबारी की, और बदले में ईरान ने मिसाइलों और ड्रोन से इज़राइल के कई शहरों पर हमला किया। अब यह संघर्ष केवल इन दो देशों की लड़ाई नहीं रह गया बल्कि इसके चारों ओर एक ध्रुवीकृत वैश्विक व्यवस्था सक्रिय हो चुकी है, जो किसी भी क्षण तीसरे विश्व युद्ध जैसी स्थिति की ओर ले जा सकती है।

 

*ऐतिहासिक घृणा और वर्तमान धमाका*

ईरान और इज़राइल के संबंध कभी सामान्य नहीं रहे। 1979 की ईरानी इस्लामिक क्रांति के बाद से यह दुश्मनी और तीव्र हुई। इज़राइल को ईरान “ज़ायोनी शासन” कहता है और उसे क्षेत्रीय खतरा मानता है। वहीं इज़राइल, ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपने अस्तित्व के लिए सीधा ख़तरा समझता है।

बीते वर्षों में सीरिया, गाज़ा, लेबनान में छद्म युद्ध, हिज़्बुल्ला और हमास जैसे संगठनों को समर्थन, और साइबर युद्धों ने दोनों देशों के संबंधों को और ज़हरीला बना दिया है। अब यह टकराव सैन्य और नागरिक दोनों स्तर पर हानिकारक हो चुका है।

 

*वैश्विक ध्रुवीकरण की राजनीति कौन किसके साथ*

 

*इज़राइल के पक्ष में-*

 

*अमेरिका* – इज़राइल का परंपरागत और सामरिक सहयोगी, जिसे मध्य-पूर्व में अपनी सैन्य उपस्थिति और लोकतांत्रिक प्रभाव बनाए रखना है।

 

*यूरोपीय देश* (जर्मनी, यूके, फ्रांस)- तकनीकी और सुरक्षा समझौते के साथ-साथ यह देश आतंकवाद के विरुद्ध इज़राइल के पक्ष में खड़े हैं।

 

*भारत* – हालांकि भारत तटस्थ नीति पर चलता है, लेकिन रक्षा, साइबर सुरक्षा और तकनीकी सहयोग के चलते इज़राइल से उसके गहरे संबंध हैं।

 

*ईरान के पक्ष में-*

 

*रूस* – अमेरिका को संतुलित करने और पश्चिम एशिया में प्रभाव बढ़ाने हेतु ईरान को रणनीतिक समर्थन देता है।

 

*चीन* – बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत ईरान में निवेश और ऊर्जा-आधारित गठजोड़ के कारण चीन ईरान का संरक्षक बन चुका है।

 

हिज़्बुल्ला, हमास, यमन के हूती विद्रोही है ये क्षेत्रीय गुट ईरान के वैचारिक व सामरिक विस्तारवाद के प्रतिनिधि हैं।

इन राष्ट्रों का सहयोग केवल सामरिक नहीं, बल्कि आर्थिक, वैचारिक और भू-राजनीतिक प्रभाव विस्तार से भी जुड़ा है।

 

*वैश्विक प्रभाव-क्या यह तीसरे विश्व युद्ध की आहट है?*

 

*युद्ध की श्रृंखला* – यदि अमेरिका, रूस, चीन इस क्षेत्रीय संघर्ष में प्रत्यक्ष रूप से शामिल हो जाते हैं, तो यह सीधा (NATO) नाटो और एससीओ (SCO) जैसी शक्तियों के आमने-सामने खड़े होने जैसा होगा।

 

*तेल आपूर्ति पर संकट-* खाड़ी क्षेत्र के अस्थिर होने से वैश्विक तेल आपूर्ति बाधित होगी, जिससे विकासशील देशों में महंगाई, व्यापार घाटा और मंदी जैसी स्थितियां उत्पन्न होंगी।

 

*पर्यावरणीय हानि-* रेडियोधर्मी सामग्री, गोला-बारूद से प्रदूषण, और रासायनिक हथियारों के प्रयोग से पर्यावरणीय आपदा जन्म ले सकती है।

 

*शरणार्थी संकट-* जैसे सीरिया में देखा गया, वैसे ही लाखों लोग लेबनान, गाज़ा, और ईरान से पलायन करेंगे, जिससे यूरोप और एशिया पर दबाव बढ़ेगा।

*शांति स्थापना के लिए क्या कर सकते हैं वैश्विक संगठन*

 

*संयुक्त राष्ट्र -* अब तक केवल “आपात बैठकें” और “निंदा प्रस्ताव” ही सामने आए हैं। स्थायी सदस्य देशों की आंतरिक राजनीति इसकी निष्क्रियता का कारण है।

 

*जी 20 और ब्रिक जैसे समूह*- ये संगठन यदि आर्थिक निर्भरता के आधार पर ईरान-इज़राइल को वार्ता के लिए बाध्य करें, तो कुछ पहल संभव हो सकती है।

 

*भारत और यूरोप की भूमिका-* एक संतुलित शक्ति के रूप में भारत जैसे देश गोपनीय वार्ताएं और शांति समितियों के माध्यम से एक नया समाधान प्रस्तुत कर सकते हैं।

 

*सामरिक संतुलन का संकट*

 

इज़राइल-ईरान संघर्ष उस दिशा की ओर इशारा करता है जहां तकनीक, धर्म, राष्ट्रवाद और वैश्विक प्रभुत्व की लालसा मानवता को पीछे छोड़ रही है। यह केवल एक सीमित युद्ध नहीं, बल्कि विश्व सामरिक संतुलन का संकट बन चुका है। यदि अभी भी वैश्विक संगठन और जनमत जागरूक नहीं हुआ, तो आने वाले वर्षों में मानवता इतिहास नहीं, विनाश का दस्तावेज बन जाएगी।

*महावाक्य:*

“जब राष्ट्र अपनी शक्ति का प्रदर्शन मानव जीवन की कीमत पर करते हैं, तब केवल सीमा नहीं टूटती-संवेदनाएं, सभ्यता और समरसता भी बिखर जाती हैं। अब युद्ध नहीं, संवाद ही दुनिया का नया अस्त्र होना चाहिए।” *(विभूति फीचर्स)*

Previous Post

आइये जानते हैं कैसा रहेगा आपका दिन आज का पंचांग और राशिफल

Next Post

दैनिक राशिफल एवं पंचांग आइये जानते हैं कैसा रहेगा आपका दिन

Search

No Result
View All Result

ताज़ा खबरें

  • दैनिक राशिफल एवं पंचांग आइये जानते हैं कैसा रहेगा आपका दिन
  • तीसरे विश्व युद्ध की आहट तो नहीं है इज़राइल-ईरान संघर्ष
  • आइये जानते हैं कैसा रहेगा आपका दिन आज का पंचांग और राशिफल
  • शराब के नशे में कैंटर चालक ने मारी पिकअप को टक्कर, सोमेश्वर पुलिस ने मौके पर किया गिरफ्तार, वाहन सीज
  • आइये जानते हैं कैसा रहेगा आपका दिन दैनिक राशिफल एवं पंचांग

Next Post
आज का पंचांग आइये जानते हैं कैसा रहेगा आपका दिन

दैनिक राशिफल एवं पंचांग आइये जानते हैं कैसा रहेगा आपका दिन

न्यूज़ बॉक्स में खबर खोजे

No Result
View All Result

विषय तालिका

  • Uncategorized
  • अपराध
  • आरोग्य
  • उत्तराखंड
  • कृषि
  • केरियर
  • खेल
  • ज्योतिष
  • देश
  • धार्मिक
  • मनोरंजन
  • महाराष्ट्र
  • मुंबई
  • मौसम
  • राजनीति
  • रोजगार
  • विदेश
  • व्यापार
  • शिक्षा

सम्पर्क सूत्र

मदन मोहन पाठक
संपादक

पता : हल्द्वानी - 263139
दूरभाष : +91-9411733908
ई मेल : devbhoominewsservice@gmail.com
वेबसाइट : www.devbhoominewsservice.in

Privacy Policy  | Terms & Conditions

© 2021 devbhoominewsservice.in

No Result
View All Result
  • उत्तराखंड
  • देश
  • विदेश
  • राजनीति
  • ज्योतिष
  • धार्मिक
  • खेल
  • मौसम
  • मनोरंजन
  • शिक्षा
  • रोजगार
  • कृषि
  • व्यापार

© 2022 Devbhoomi News - design by Ascentrek, Call +91-8755123999