लखनऊ। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR), विदेश मंत्रालय, भारत सरकार तथा भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित मासिक ‘क्षितिज श्रृंखला’ के अंतर्गत 10 अक्टूबर को एक भव्य सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में प्रसिद्ध भरतनाट्यम नृत्यांगना ज्योति भट्ट ने अपनी मनमोहक प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। इसके उपरांत ज्योति भट्ट ने भरतनाट्यम की पारंपरिक और भावपूर्ण शैलियों को अपने अभिनय, नृत्यांग, भावाभिव्यक्ति और लयबद्धता के माध्यम से जीवंत कर दिया।
उन्होंने कुल आठ विशिष्ट प्रस्तुतियां दीं — जिनमें पाँच एकल और तीन समूह नृत्य शामिल थे। एकल प्रस्तुतियों में ‘जतिस्वरम’, ‘महाभारत (शब्दम्)’, ‘समाज वर गमना’ (राम स्तुति), ‘शंकर श्रीगिरि’ (शिव स्तुति) तथा ‘जावली’ जैसी भावनात्मक रचनाओं का सुंदर प्रदर्शन किया गया। समूह प्रस्तुतियों में ‘पुष्पांजलि’, ‘दशावतार’ और ‘तिल्लाना’ के माध्यम से मंच पर ताल, भाव और ऊर्जा का अद्भुत संगम प्रस्तुत हुआ।
संगीत संगति ने नृत्य को और प्रभावशाली बना दिया — मृदंगम पर जी. सुधीर कुमार, गायन में ललिता गणेश, और वायलिन पर जे. चंद्रमौली की संगति ने दर्शकों को मोह लिया। मंच पर ज्योति भट्ट के साथ उनकी सहकलाकार सविता मौर्य, दामिनी पांडे, दीपिका और आकांक्षा ने भी अपनी सधी हुई प्रस्तुति से नृत्य की गरिमा को और ऊँचा किया।
ज्योति भट्ट ने अपने गुरु जी. सुधीर कुमार के निर्देशन में ये सभी प्रस्तुतियां दीं। कार्यक्रम के अंत में दर्शकों ने तालियों की गूंज से कलाकारों का उत्साहवर्धन किया।
अल्मोड़ा जिले के ग्राम कटोजिया (जागेश्वर मंदिर समूह के समीप) निवासी ज्योति भट्ट की यह प्रस्तुति न केवल कला का प्रदर्शन थी, बल्कि भारतीय नृत्य की आत्मा और अध्यात्म की गहन अभिव्यक्ति भी थी।





