अल्मोड़ा वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य पंडित डाक्टर मदन मोहन पाठक ने बताया कि कल यानी दिनांक २३/११/२०२३ को हरिबोधनी, देवोत्थानी एकादशी मनाई जाएगी,हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी का अपना पौराणिक महत्व है। प्रत्येक वर्ष कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवोत्थानी एकादशी मनाने शास्त्रोक्त विधान है। देवउठनी एकादशी को देवोत्थानी एकादशी और प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। शास्त्रों में इस पावन पवित्र एकादशी का बड़ा ही महत्व उल्लेखित है। देवउठनी एकादशी के दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है। बता दें कि देवोत्थानी एकादशी के दिन चातुर्मास भी समाप्त हो जाते हैं।इसे देव प्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु चार महीने का शयन काल पूरा करने के बाद आषाढ़ शुक्ल पक्ष की हरिशयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत हुई थी। ये चातुर्मास कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तक होते हैं। चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु का शयनकाल होता है। इन चार महीनों के दौरान विवाह आदि सभी शुभ कार्य बंद होते हैं। चूंकि 23 नवंबर को कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को चातुर्मास सम्पूर्ण हो जाएंगे। अत: इस दिन से शादी-ब्याह आदि सभी मांगलिक कार्य फिर से शुरू हो जाएंगे।
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का ध्यान करें और नारायण के मंत्रों का जाप करें।ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम इस मंत्र का जाप करना विशेष लाभ देता है।
एकादशी के दिन किसी से वाद-विवाद नहीं करें और न ही किसी को कटु शब्द बोलें, शांत और संयमित रहें। 23 नवंबर 2023, गुरुवार को है।इस दिन भक्तों को चाहिए सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें ,घर पर घीं का दीपक जलाएं और भगवान विष्णु को माला-फूल, पांच प्रकार के फल, मिठाइयां अर्पित करें और प्रार्थना करें।यह उपवास आपके सोये हुए भाग्य को जगा देता है,जो भी व्यक्ति श्रधा भक्ति से युक्त होकर भगवान बिष्णु की पूजा अर्चना करता है वह धर्म अर्थ काम और मोक्ष को प्राप्त कर,इस लोक में समस्त सुख भोगकर अन्त में भगवान के धाम को प्राप्त करता है।

