🌸 रमा एकादशी व्रत विशेष लेख 🌸
✍️ वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य पंडित डॉ. मदन मोहन पाठक जी
(श्री हरि ज्योतिष अनुसंधान योग एवं कर्मकांड संस्थानम्, अल्मोड़ा)
🕉️ रमा एकादशी का पावन पर्व — श्रीहरि विष्णु की आराधना का श्रेष्ठ दिन
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को “रमा एकादशी” कहा गया है। यह व्रत भगवान श्री विष्णु तथा माता लक्ष्मी दोनों की संयुक्त उपासना का दिन है। इस व्रत का विशेष महत्त्व “पद्मपुराण” और “ब्रह्मवैवर्त पुराण” में विस्तार से वर्णित है। यह एकादशी जीवन के समस्त पापों का नाश करने वाली, धन-धान्य और सौभाग्य प्रदान करने वाली मानी जाती है।
🌼 रमा एकादशी का धार्मिक महत्त्व
“रमा” शब्द का अर्थ है – माता लक्ष्मी जी, जो भगवान विष्णु की अर्धांगिनी हैं।
ऐसा कहा गया है कि इस दिन जो भी भक्त पूरे श्रद्धा-भाव से व्रत रखकर श्री हरि की आराधना करता है, उसके जीवन में लक्ष्मी कृपा सदा बनी रहती है।
शास्त्रों में कहा गया है –
> “रमया सहिता एकादशी नाम्नी या शुभा तिथि।
पापं हन्ति दरिद्रं च, ददाति श्रीं च माधवम्॥”
अर्थात – रमा एकादशी व्रत दरिद्रता को दूर कर पापों का नाश करती है तथा जीवन में श्री (समृद्धि) प्रदान करती है।
🌅 व्रत विधि और पूजन विधान
🔹 एक दिन पूर्व (दशमी तिथि) को सात्त्विक आहार ग्रहण करें और रात्रि में भगवान विष्णु का स्मरण करें।
🔹 एकादशी के दिन प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
🔹 श्रीहरि विष्णु जी एवं माता लक्ष्मी जी की प्रतिमा या चित्र पर पीले पुष्प, तुलसी दल, चंदन, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें।
🔹 भगवान विष्णु के इस मंत्र का 108 बार जप करें –
> 🕉️ “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”
🔹 दिनभर व्रत रखकर, संध्या के समय श्रीहरि की आरती करें और व्रत कथा का श्रवण करें।
🔹 द्वादशी तिथि (अगले दिन) प्रातः ब्राह्मण भोजन कराकर व्रत का पारण करें।
💫 रमा एकादशी व्रत का फल
📿 रमा एकादशी व्रत का पालन करने से व्यक्ति को संसारिक कष्टों से मुक्ति, मानसिक शांति, आर्थिक समृद्धि तथा वैवाहिक जीवन में सुख प्राप्त होता है।
इस व्रत का पुण्यफल हजारों अश्वमेध यज्ञों के समान बताया गया है।
जो भक्त श्रद्धा से रमा एकादशी का व्रत करते हैं, उनके जीवन में धन, वैभव और सद्गुणों की वृद्धि होती है।
🌸 विशेष उपाय
➡ इस दिन पीले वस्त्र धारण करें और पीले पुष्प से भगवान विष्णु की पूजा करें।
➡ माता लक्ष्मी को कमल पुष्प अर्पित करें।
➡ गौशाला में जाकर गौ माता को गुड़-चने या पीले लड्डू खिलाने से विशेष लाभ प्राप्त होगा।
➡ सायंकाल घर में घी का दीपक जलाएं तथा भगवान विष्णु का “विष्णु सहस्रनाम” पाठ करें।
🔮 ज्योतिषीय दृष्टिकोण से
रमा एकादशी धन और सौभाग्य के योग को बढ़ाने वाली मानी जाती है।
जिन जातकों की कुंडली में शुक्र ग्रह या लक्ष्मी योग दुर्बल हो, उन्हें यह व्रत अवश्य करना चाहिए।
इस दिन “विष्णु-लक्ष्मी उपासना” से ग्रहदोष शांति, व्यवसायिक उन्नति और पारिवारिक सुख में वृद्धि होती है।
🙏 संक्षेप में –
रमा एकादशी का व्रत न केवल आध्यात्मिक उत्थान देता है, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है।
जो भी भक्त श्रद्धा-भाव से व्रत रखते हैं, उनके जीवन में श्रीहरि और माता लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है।
📜 लेखक:
🌟 वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य पंडित डॉक्टर मदन मोहन पाठक जी
(ज्योतिषाचार्य एवं कर्मकांड विशेषज्ञ)
📍 श्री हरि ज्योतिष अनुसंधान योग एवं कर्मकांड संस्थानम्, अल्मोड़ा
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