अल्मोड़ा, 09 दिसंबर 2025।
जनपद में बढ़ते मानव–वन्यजीव संघर्ष की गंभीर समस्या पर प्रभावी नियंत्रण के उद्देश्य से जिलाधिकारी अंशुल सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार को एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में विशेष रूप से बंदरों की बढ़ती संख्या तथा गुलदार (तेंदुआ) के हमलों में हो रही वृद्धि पर विस्तार से चर्चा की गई और जनसुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए ठोस कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए गए।
जिलाधिकारी ने बंदरों की समस्या को नियंत्रित करने के लिए बंदरों के बंध्याकरण (स्टरलाइजेशन) के कार्य को शीघ्र प्रारंभ करने पर जोर देते हुए इसके लिए चिकित्सक की नियुक्ति हेतु तत्काल समिति गठित करने के निर्देश दिए। उन्होंने अन्य जनपदों अथवा क्षेत्रों से बंदरों को लाकर जनपद में छोड़े जाने की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए इसे रोकने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में वन विभाग एवं पुलिस की संयुक्त चेकिंग टीम गठित करने तथा इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट स्थापित करने के निर्देश भी दिए।
गुलदार के हमलों को अत्यंत चिंताजनक बताते हुए जिलाधिकारी ने सभी उपजिलाधिकारियों (एसडीएम) से क्षेत्रवार घटनाओं की विस्तृत रिपोर्ट तलब करने को कहा, ताकि स्थिति के अनुसार प्रभावी रणनीति बनाई जा सके। उन्होंने संवेदनशील और अधिक प्रभावित क्षेत्रों में पिंजरों की संख्या बढ़ाने, रेस्क्यू सेंटरों की क्षमता का विस्तार करने तथा पकड़े गए तेंदुओं के सुरक्षित एवं वैज्ञानिक पुनर्वास के लिए उपयुक्त स्थलों की पहचान करने के निर्देश दिए।
बैठक में अव्यवस्थित कचरा निस्तारण को भी मानव–वन्यजीव संघर्ष का एक प्रमुख कारण बताया गया। जिलाधिकारी ने नगर निकायों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस कचरा प्रबंधन प्रणाली को सुदृढ़ और प्रभावी बनाने के निर्देश दिए, ताकि जंगली जानवरों का आबादी वाले क्षेत्रों की ओर आकर्षण रोका जा सके। साथ ही संवेदनशील इलाकों में सोलर फेंसिंग को प्रोत्साहित करने तथा प्रकाश व्यवस्था को बेहतर बनाने के निर्देश भी दिए गए।
इस अवसर पर नगर निगम अल्मोड़ा के मेयर अजय वर्मा, डीएफओ दीपक सिंह, अपर जिलाधिकारी युक्ता मिश्र, डीएफओ सिविल सोयम प्रदीप कुमार, डीएफओ रानीखेत संतोष कुमार पंत सहित संबंधित विभागों के अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।





