अल्मोड़ा, वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य पंडित डाक्टर मदन मोहन पाठक ने बताया कि आगामी 12/5/2025 को मनाई जाएगी वुध पूर्णिमा आइये जानते हैं इसका धार्मिक महत्व
जब वैशाख मास की पूर्णिमा का चंद्रमा अपनी पूर्णता पर होता है, तब केवल रात्रि ही नहीं, आत्मा भी आलोकित होती है। वैशाखी पूर्णिमा, हिन्दू और बौद्ध परंपराओं में एक ऐसा दिन है, जब धर्म, ध्यान और दान अपने चरम पर माने जाते हैं।
1. गंगा स्नान का दिव्य योग:
“वैशाखी पूर्णिमा पर गंगा स्नान मात्र जल-स्पर्श नहीं, यह आत्मा की शुद्धि है,” पाठक जी कहते हैं। इस दिन किया गया स्नान सहस्त्रगुणा पुण्यफल देने वाला होता है।
2. सत्यनारायण व्रत – विष्णु आराधना का परम दिन:
भक्त इस दिन सत्यनारायण व्रत करते हैं, जिससे न केवल इच्छाएं पूर्ण होती हैं, बल्कि गृहस्थ जीवन में शांति और समृद्धि भी आती है।
3. त्रिगुण संयोग – बुद्ध का जन्म, ज्ञान और निर्वाण एक ही दिन:
बौद्ध परंपरा में यह दिन अद्वितीय है – भगवान बुद्ध का जन्म, बोधगया में ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण तीनों वैशाख पूर्णिमा को ही हुए थे।
4. वेदव्यास जयंती – ज्ञान परंपरा का आरंभ:
महाभारत के रचयिता, वेदों के विभाजक महर्षि वेदव्यास का प्राकट्य भी इसी दिन हुआ था, जो ज्ञान और ग्रंथ संस्कृति के आरंभ का प्रतीक है।
डॉ. पाठक का संदेश
“यह केवल पर्व नहीं, चेतावनी है उस भौतिक जीवन को जो आध्यात्मिक ऊर्जा से कटता जा रहा है। इस दिन दान, सेवा और तप अनिवार्य हैं – यह जीवन को संतुलित करता है।”
—
निष्कर्ष:
वैशाखी पूर्णिमा केवल एक तिथि नहीं, यह आत्मिक परिपक्वता का उत्सव है। पं. डॉ. मदन मोहन पाठक के शब्दों में — “यह दिन बताता है कि चंद्रमा की तरह, हमारी आत्मा भी पूर्णता पा सकती है – बस ज़रूरत है श्रद्धा, साधना और सेवा की।”

