अल्मोड़ा दिनांक 5/6/2024 अल्मोड़ा यहां वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य पंडित डाक्टर मदन मोहन पाठक बताया कि सावित्री माता ने किस प्रकार अपने पति सत्यवान को मृत्यु के देवता (यम) से बचाया था। यह उनकी अनन्य भक्ति पतिव्रता धर्म, ईश्वर के प्रति अटूट आस्था का अनुकरणीय उदाहरण है, माता सावित्री के इस पावन पवित्र उदाहरण स्वरूप यह पर्व हर वर्ष ज्येष्ठ माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है।इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और स्वस्थ जिंदगी , एवं पति के हर क्षेत्र में प्रगति उन्नति के लिए यह उपवास रखती हैं।जब यम देव ने सत्यवान के प्राणों को झटका दिया और आत्मा को लेकर दक्षिण की ओर जाने लगे ,उस समय सावित्री देवी न तो बेहोश हुई, न रोयी, न चिल्लायी, न ही उन्होंने कोई विरोध किया। उन्होंने अपनी गोद से धीरे से सत्यवान का सिर ज़मीन पर रख दिया और स्वयं यमराज से बातचीत करने लगी। और अपने वाकपटुता और चातुर्य से यमराज को शब्दों के जाल में फंसाकर अपने पति के प्राणों के साथ बहुत कुछ मांग डाला । आइये जानते हैं इस पूजा की विधि क्या है इस दिन विधिवत वट वृक्ष के छांव में सावित्री और सत्यवान की मूर्ति स्थापित करें। और बरगद के वृक्ष की जड़ में जल अर्पित करें। फिर आप पुष्प, अक्षत, फूल, भीगा चना, गुड़ व मिठाई चढ़ाएं। उसके बाद वट वृक्ष की सात बार परिक्रमा करते हुए , कच्चा सूत या कलावा लपेटें और फिर प्रेम पूर्वक कथा सुने। जब यमराज ने सावित्री की यह निष्ठा देखी तो यमराज प्रसन्न हो गए और उन्होंने उसे तीन वरदान मांगने को कहा. सावित्री ने बड़ी चतुराई के साथ वरदान मांगे. सावित्री ने सास-ससुर के लिए आंखें, खोया हुआ राज-पाठ और 100 पुत्रों का वरदान मांगा. यमराज ने उसे ये तीनों बरदान दे डाले। इस वर्ष 06 जून को वट सावित्री का व्रत है। यह आमवस्या स्नान-दान और श्राद्ध की अमावस्या भी है। इसलिए यह तिथि न सिर्फ महिलाओं के लिए बल्कि पुरुषों के लिए भी विशेष है। इस व्रत में पूजा-पाठ, स्नान व दान आदि का अक्षय फल मिलता है। वट सावित्री व्रत को कठिन व्रतों में से एक माना गया है। इस दिन सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। मान्यता है कि वट सावित्री व्रत के दौरान विधि-विधान से पूजा करने से पूजा का फल पूरा मिलता है। सनातन धर्म में वट सावित्री का व्रत बहुत ही शुभ माना जाता है।

