अल्मोड़ा दिनांक 20/08/2023 वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य पंडित डॉक्टर मदन मोहन पाठक ने बताया कि आज उत्पन्ना एकादशी है आज के दिन श्री हरि भगवान विष्णु और माता एकादशी की पूजा की जाती है।यह व्रत उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है और उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष के महीने में मनाई जाती है आज के दिन हमारे हिन्दू धर्म में उत्पन्ना एकादशी का अत्यंत महत्व है। उत्पन्ना एकादशी के इस शुभ दिन पर भगवान विष्णु के भक्त उपवास रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. यह एकादशी मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत धर्म अर्थ काम और मोक्ष को देने वाला है
आज का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है।यह उपवास मनुष्य को सारे पापों से मुक्ति दिलाता है और भक्त को श्री हरि विष्णु के चरणों में स्थान देता है । पुराणों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की शक्तियों में से एक देवी एकादशी ने उत्पन्न होकर राक्षस मुर का वध किया था इसलिए इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष के 11 वें दिन मनाई जाती है. उत्पन्ना एकादशी की शुरुआत 19 नवंबर 2022 यानी कल सुबह 10 बजकर 29 मिनट से हो चुकी है और इसका समापन 20 नवंबर 2022 यानी आज सुबह 10 बजकर 41 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी 20 नवंबर यानी आज ही मनाई जाएगी. इसका पारण 21 नवंबर को सुबह 06 बजकर 40 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 47 मिनट तक होगा. एकादशी के दिन सुबह उठकर सबसे पहले व्रत का संकल्प लेना चाहिए. सुबह सभी कार्यों को करने के बाद स्नान करें. भगवान का पूजन करें तथा व्रत कथा जरूर सुने. इस व्रत में भगवान विष्णु को सिर्फ फलों का ही भोग लगाएं. रात में भजन-कीर्तन करें जाने-अनजाने कोई गलती हो गई हो तो उसके लिए भगवान श्रीहरि से क्षमा मांगे. द्वादशी तिथि की सुबह ब्राह्मण या किसी गरीब को भोजन करवाकर उचित दान दक्षिणा देकर फिर अपने व्रत का पारण करें.1. कारोबार में तरक्की करना चाहते हैं तो उत्पन्ना एकादशी के दिन पांच गुंजाफल भगवान के सामने रखकर उनकी पूजा करें. पूजा के बाद उन गुंजाफल को अपनी तिजोरी या गल्ले में रख लें। कुछ विशेष उपाय आपको दिलाएंगे विशेष लाभ —-
2. घर की सुख-शांति बनाए रखने के लिए इस दिन अपने घर के मंदिर में दक्षिणावर्ती शंख की स्थापना करनी चाहिए और उसकी रोली, धूप-दीप आदि से पूजा करें।
3. अगर आप किसी भी तरह की स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं से बचे रहना चाहते हैं तो इस दिन तुलसी की जड़ की थोड़ी-सी मिट्टी लेकर उसे पानी में डालकर उससे स्नान करना चाहिए. फिर साफ पानी से स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े पहने। आज आपको कुछ आवश्यक सतर्कता बरतने की आवश्यकता है —
1. उत्पन्ना एकादशी के दिन तामसिक आहार और व्यवहार से दूर रहना चाहिए।
2. उत्पन्ना एकादशी के दिन अर्घ्य सिर्फ हल्दी मिले जल से ही दें. रोली या दूध का प्रयोग अर्घ्य में न करें।
3. सेहत ठीक नहीं है तो उपवास ना रखें, बस प्रक्रियाओं का पालन करें।
4. उत्पन्ना एकादशी के दिन मिठाई का भोग लगाएं, इस दिन फलों का भोग न लगाएं।
द्वादशी के दिन योग्य तपोनिष्ठ ब्राह्मण को बुलाकर अन्न बस्त्र दक्षिणा सहित दान करें विशेष लाभ रहेगा भगवान बढ़े ही दयालु हैं इनकी कृपा से मनुष्य निष्पाप हो जाता है यह जीवन सुखपूर्वक जी कर अंत में भगवान के धाम श्री बैकुंठ में स्थान पाता है

