अल्मोड़ा वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य पंडित डा मदन मोहन पाठक ने बताया भगवान शिव की पूजा अर्चना आराधना प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त पूरब दिशा की ओर मुंह करके बैठना चाहिए सांय काल के समय शिव पूजा पश्चिम दिशा की ओर ओर मुंह करके करनी चाहिए । इसके साथ ही यदि शिव उपासक यदि शिवआराधना रात्रि में करता है तो उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठना चाहिए ओर ऊं ह्लीं नमः इस मंत्र से पवित्रीकरण करना चाहिए खाश तोर पर श्रावण मास में शिव अक्षय फल देते हैं आसाध्य रोग दूर करते हैं घर में हर्ष उल्लास रहता है पति-पत्नी के परस्पर मधुरता रहती है।और शिव शंकर जी की कृपा से धन धान्य समृद्धि बढ़ती है । सोमवार के दिन प्रातः काल में स्नान के पश्चात गौरी शंकर शिव पार्वती जी की पूजा करें भगवान शिव शंकर को और मां पार्वती जी को गंगाजल से स्नान करा कर षोडशोपचार पूजन करें भांग धतूरा वेलपत्री तुलसी मंजरी दुर्वा चढ़ाएं ऐसा करने से संतान का सुख मिलेगा और संतान की रक्षा होगी।भगवान शिव को एक लाख दूब अर्पण करने से लंबी आयु होती है।बिल्व पत्र से इच्छित वस्तु की प्राप्ति होती है।जपाकुसुम चढ़ाने से शत्रु का नाश होता है।बेला से सुयोग्य जीवनसाथी मिलता है।हरसिंगार से यश, सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
दुपहरिया के फूल से स्वर्ण आभूषणों की प्राप्ति होती है।लाल गुलाब से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
चंपा और केवड़ा के पुष्प शिव पूजन में निषेध है सावन सोमवार के दिन व्रत रखने वाले सुबह प्रातःकाल स्नानादि करके भगवान शिव को याद करते हुए व्रत का संकल्प लें। उसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित कर उनकी पूजा अर्चना करें। उसके बाद उन्हें बेलपत्र, फूल, धतूरा आदि चढ़ाकर उनके समक्ष धूप, दीप और अगरवत्ती जलाएं। ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। माता पार्वती जी को सोलह श्रृंगार, कच्चा नारियल अर्पित करें । पूजा के अंत में शिव चालीसा और शिव आरती का पाठ करें। ऊं नमः शिवाय मंत्र को लयवद्ध होकर मधुर स्वर में अनगिनत जप करें विशेष लाभ रहेगा।