अल्मोड़ा नेत्र चिकित्सालय कर्बला में एक गोष्टी में बोलते हुए डॉ जे सी दुर्गापाल के कहा कि जब मन और मस्तिष्क का तालमेल नहीं होता है तब मानसिक रोग बनने लगते हैं! अत्यधिक तनाव के कारण भी दिमाग के कुछ रसायन जैसे सीरोटोंनिन व डोपामिन के बीच ठीक से समीकरण नहीं बैठते हैं, और यक्ति में असंतोष, अशांति व एकाकीपन व डिप्रेशन का शिकार हो जाता है! ऐेसे में हमें मानसिक रोगियों के साथ समय बिताये चाहिए , अकेले न छोड़े, उन्हें किसी काममें व्यस्त रखे! सन्तुलित भोजन दे! मानसिक रोगियों को योगिक क्रियाएं, घरवाले के साथ घूमना, भरपूर नीद आना आवश्यक है, और अपने मन की बाते अपने मित्रों – घर वालों बतानी चाहिए! मानसिक रोगियों को अधिक सहयोग की, मनोरंजन की आवश्यकता होती है! इन्हें भजन – संगीत सुनाना फायदेमंद होता है! धुम्रपान तथा नशीली वस्तुए दिमाग के रसायनों को संतुलित नहीं करते है! अधिक उम्र के लोग मानसिक रोग की चपेट में अधिक आते हैं! इन्हें प्रेम – सद्भावना की आवश्यकता होती है! पानी अधिक पीना फ़ायदेमंद होता है! ये कभी रोते है कभी हस्ते है, कभी लड़ते हैं! ऐसे रोगियों को व्यस्त रखा जाना चाहिए! इस रोग को अवसादवाद भी कहते हैं!
कभी-कभी इनको चलने में असुविधा होती है तथा संतुलन ठीक नहीं रहता है! कोरोना काल के बाद भय से लोग अधिक मानसिक रोगी हुए! अब स्थिति कम हो रहीं हैं! बेरोजगारी, अधिक मोबाइल,प्रयोग, आर्थिक तंगी भी मानसिक रोगों को जन्म देती है!
गोष्टी में भुवन, भावना, सुंदर, नितेज, बालम, सुरेश,श्रीं मनोज सनवाल अध्यक्ष रेड क्रॉस ,श्रीमती रीता दुर्गापाल, श्रीं लेवल सती, श्रीमती आशा पंत, श्रीमती मीता उपाध्याय, श्रीं आशीष वर्मा, श्रीं चंद्र मनीभट्ट, कुमारी रश्मि, श्रीं डी के जोशी, श्रीमती पुष्पा आती आदि ने भाग लिया ।

