अल्मोड़ा वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य पंडित डा मदन मोहन पाठक ने बताया कल मनाया जाएगा घीं संक्रांति का त्यौहार कल से सौर मंडल में बड़ा परिवर्तन भी होने जा रहा है जब सूर्य नारायण सिंह राशि में प्रवेश करते हैं तो खगोल में क्रान्तिकारी परिवर्तन होते हैं भगवान सूर्य अपनी राशि यानी सिंह राशि में प्रवेश करते ही काफी शक्तिशाली हो जाते हैं फलस्वरूप प्रकृति में नाना प्रकार के बदलाव भी आने लगते हैं कल की संक्रांति को उत्तराखंड के खासतौर पर कुमायूं मंडल में घी संक्रांति के नाम से जाना जाता है घी जो कि आत्मीयता और स्नेह प्रेम का प्रतीक है वहीं दूसरी ओर औषधीय गुणों से भरपूर होने से घी खाने वाला व्यक्ति हृष्ट-पुष्ट होता है इसलिए प्राचीन काल में वैद्य लोगों ने इस दिन घीं खाने का सुझाव भी दिया है घी हमारी स्मरण शक्ति, बुद्धि, ऊर्जा, बलवीर्य, ओज बढ़ाता है अतः इसी को मध्यनजर रखते हुए आज घी खाने को शगुन माना जाता है परंपरा के अनुसार आज घीं न खाने से व्यक्ति गनेल की योनि को प्राप्त होता है इस त्योहार में ऋतुफल साग सब्जी इत्यादि अपने नगर इष्टों को चढ़ाया जाता है फिर घर पर त्यौहार में इनके व्यंजन बनाए जाते हैं
घीं संक्रांति को ओल्गी संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है इस पर्व में पिनालू के व्यंजन अवश्य बनाएं जाते हैं जिसमें पिनालू के गाबा मुख्य है कहते हैं आज से अखरोट इत्यादि पर भी कच्चापन दूर होकर ऋतु फल फूल साग सब्जी आज से पुष्ट होने लगते हैं ।इस त्योहार में उड़द से निर्मित वस्तुओं को भी बड़े चाव से खाया जाता है इसमें बड़े और बेडू पूरी बनाकर खायी जाती है। दूसरी ओर भगवान सूर्य नारायण सिंह राशि में जाने से प्रकृति को हृष्ट पुष्ट करते हैं और कुंडली में ग्रह स्थिति के अनुसार शुभाशुभ फल देते हैं।।
आज के दिन से पूरे माह तक सूर्य नारायण को नियमित जल चढ़ाएं ऊं घृणि सूर्याय नमः इस मंत्र से भगवान अंशुमालि को रक्त चंदन रक्त पुष्प अर्पित करें गायत्री महामंत्र का जाप करें लाल वस्त्र धारण करें।

