देवभूमि न्यूज सर्विस — अल्मोड़ा वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य पंडित डा मदन मोहन पाठक ने बताया दिनांक 18/08/2021को एकादशी व्रत रखा जायेगा यों तो एकादशी व्रत धर्म अर्थ काम मोक्ष को देने वाला है वर्त उपवास में सबसे श्रेष्ठ उपवास एकादशी व्रत ही है श्रद्धा पूर्वक उपवास करने पर श्री हरि विष्णु भगवान प्रसन्न होकर मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं । श्रावण मास शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है यह एकादशी व्रत अपने आप में महत्वपूर्ण है इस व्रत के प्रभाव से जिनकी संतान नहीं होती उन्हें संतान प्राप्ति होती है और संतानियों के संतान की रक्षा होती है इसे कोई भी श्रद्धा पूर्वक कर सकता है श्री हरि विष्णु भगवान और शिव दोनों का गजब का मेल है चूंकि चातुर्मास में भगवान श्री हरि पाताल लोक में निवास करते हैं और श्रावण मास का शुक्ल पक्ष होने से भगवान शिव शंकर को भी यह दिन अति प्रिय है। दिनांक 18/08/2021 को बुधवार के दिन पुत्रदा एकादशी व्रत है ।इस उपवास के प्रभाव से संतान के सभी कष्ट दूर होते हैं भगवान श्री हरि विष्णु बच्चों को सदमार्ग की ओर ले जाते हैं मनुष्य के घर में धन धान्य समृद्धि बढ़ती है। सबसे बड़ी बात इस बर्त के प्रभाव से संतान सुख मिलता है जिनकी संतान नहीं है वो इस उपवास को श्रद्धा भक्ति से करें अवश्य घर पर संतान होगी इसी लिए इसे पुत्रदा एकादशी कहा जाता है।एकादशी की तिथि के दिन सुबह स्नान करने के बाद पूजा करें. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस दिन घी का दीपक जलाएं और पीले रंग की चीजों का अर्पण और भोग लगाएं. क्योंकि भगवान विष्णु का पीले वस्त्र और पीले पुष्प प्रिय हैं. इस दिन व्रत के दौरान अन्न का सेवन नहीं किया जाता है. इस दिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से शुभ फल प्राप्त होता है. पुत्रदा एकादशी का व्रत पापों से मुक्ति दिलाने वाला माना गया है. इस व्रत को रखने से घर में सुख समृद्धि आती है और भगवान विष्णु का आर्शीवाद प्राप्त होता है। भगवान श्री हरि विष्णु को तुलसी मंजरी, गंगा जल गाय का कच्चा दूध चढ़ाएं 108 जौं, 108 तिल ,108 अक्षत,108 दूब,108पत्ते पदम के चढ़ाएं केले भगवान को अति प्रिय है अतः कदलीफल अवश्य भोग लगाएं संभव है तो घर पर सत्यनारायण कथा कराएं । ऐसा करने से आपकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।।
उपवास द्वादशी को खोला जाता है तुलसी के समक्ष की का दीपक जलाएं तपोनिष्ठ ब्रहामण को अन्न बस्त्र दक्षिणा दान करें अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।।