अल्मोड़ा, 21 मई, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने देश व दुनिया को चिपको आंदोलन व पर्यावरण का संदेश देने वाले सुंदरलाल बहुगुणा जी के निधन को उत्तराखंड, देश व दुनिया की अपूर्णीय क्षति बताया है। उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पी. सी. तिवारी ने कहा कि बहुगुणा एक प्रबुद्ध, प्रतिबद्ध गांधीवादी सादगी की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने पूरा जीवन रचना व संघर्ष में व्यतीत किया। उनके निधन ने पूरी दुनिया को प्रभावित करने वाले एक मनीषी को खो दिया है।
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पी. सी. तिवारी ने कहा कि वे युवा अवस्था में श्री बहुगुणा जी के संपर्क में आए थे। अल्मोड़ा महाविद्यालय में पढ़ाई के लिए आए ग्रामीण परिवेश में छात्रों ने पर्वतीय युवा मोर्चा के नाम से संगठन खड़ा कर कोसी कटारमल में एक माह का वृक्षारोपण शिविर व दीवार बंदी का कार्यक्रम लिया था। जिसमें सैकड़ों युवा, प्राध्यापक एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं के बीच सामाजिक, राजनीतिक पर्यावरणीय प्रश्नों व देश में आपातकाल में होने वाले मानवाधिकारों के हनन पर गहन चर्चा होती थी। सुंदरलाल जी उस शिविर में आए थे। 6 अक्टूबर 1977 को नैनीताल में वनों की नीलामी के विरोध में हम साथ- साथ थे। बहुगुणा जी ने मुंह पर पट्टी बांध कर व हमने नारे लगाकर विरोध किया था।
टिहरी डैम का उनके द्वारा शुरू से ही विरोध किया गया। उनको लेकर सरकारों, ठेकदारों की लॉबी, राजनीति उनके ख़िलाफ़ अभियान चलाती थी लेकिन वो कभी डिगे नहीं और ना ही उन्होंने कोई समझौता किया। यदि समय रहते उनकी आवाज़ को सुना जाता तो जो भयानक संकट टिहरी बांध व जल विद्युत परियोजनाओं से पैदा हुआ है उससे बचा जा सकता था। टिहरी बांध विरोधी उनके नेतृत्व में चल रही उनकी लंबी लंबी भूख हड़तालों के बीच उनके संघर्ष को समर्थन देने के लिए हम लोग भी अनेकों बार वहां पहुंचे थे। आज जनता महसूस करती है यदि सरकारों ने उनकी आवाज़ सुनी होती तो आज उत्तराखंड की स्थितियां इतनी बदतर नहीं होती।
बहुगुणा जी स्वयं एक प्रखर पत्रकार थे। हमें आश्चर्य होता था कि देश दुनिया में ख्याति के शिखर पर पहुंचने के बावजूद भी बहुगुणा जी अपने प्रेस पास से जाड़ों में भी सामान्य सरकारी गाड़ियों से ही यात्रा करते थे। बहुगुणा जी अत्यंत विनम्र, अपने सिद्धांतों के पक्के एवं किसी भी सत्ता या शक्ति के सामने ना झुकने वाले व्यक्तित्व के धनी थे। उनकी निधन से हमने उत्तराखंड व देश व दुनिया को सही राह दिखाने वाले मनीषी को खो दिया है। उपपा उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करती है।

