देहरादून, 5 अगस्त 2025
विश्व स्तनपान सप्ताह के अवसर पर डॉ. सुजाता संजय ने 4 अगस्त को देहरादून में आयोजित कार्यक्रम में स्तनपान के महत्व पर जागरूकता फैलाते हुए कहा कि स्तनपान माँ और शिशु दोनों के लिए सुरक्षा कवच के समान है। यह एक प्राकृतिक उपहार है जो नवजात शिशु को जीवन की सही शुरुआत देता है।
स्तनपान सप्ताह हर वर्ष 1 से 7 अगस्त तक मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य माँ के दूध के महत्व को बताना और माताओं को स्तनपान के लिए प्रेरित करना है। डॉ. सुजाता संजय ने बताया कि स्तनपान न केवल एक प्रक्रिया है, बल्कि माँ और शिशु के बीच गहरा भावनात्मक जुड़ाव भी बनाता है।
माँ का दूध—शिशु के लिए पहला पूर्ण आहार
डॉ. संजय ने कहा कि माँ का दूध नवजात शिशु के लिए पहले छह महीने तक पूर्ण आहार होता है, जिसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व मौजूद होते हैं। यह शिशु को डायरिया, निमोनिया, संक्रमण और कुपोषण जैसी बीमारियों से बचाता है और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। साथ ही, माँ के लिए भी यह लाभकारी है क्योंकि इससे स्तन कैंसर, मोटापा और मधुमेह जैसे रोगों का खतरा कम होता है।
स्तनपान बढ़ाता है शिशु का मानसिक और शारीरिक विकास
डॉ. सुजाता ने कहा कि माँ का दूध शिशु के मस्तिष्क और शरीर के विकास में अहम भूमिका निभाता है। साथ ही यह भावनात्मक रूप से भी शिशु को सुरक्षा और आत्मीयता प्रदान करता है। स्तनपान से बच्चों में मोटापा, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियों की संभावना भी कम होती है।
माताओं को सही जानकारी और सहयोग जरूरी
कार्यक्रम में यह भी बताया गया कि अनेक महिलाएं भ्रांतियों के कारण स्तनपान नहीं कराती हैं, जिससे नवजातों को कृत्रिम दूध देना पड़ता है। डॉ. संजय ने कहा कि शिशु को जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराना और छह महीने तक केवल माँ का दूध देना आवश्यक है। इसके बाद भी दो वर्ष तक स्तनपान जारी रखना चाहिए।
स्तनपान एक माँ का कर्तव्य ही नहीं, समाज की ज़िम्मेदारी भी
डॉ. सुजाता संजय ने अंत में कहा, “स्तनपान केवल माँ का कर्तव्य नहीं, यह पूरे समाज की जिम्मेदारी है। हमें ऐसा माहौल बनाना होगा जहां हर माँ को स्तनपान के लिए समर्थन और सुविधा मिल सके।”
रिपोर्ट: देव भूमि न्यूज पोर्टल

