अल्मोड़ा– वरिष्ठ ज्योतिषाचार्य पंडित डा मदन मोहन पाठक ने बताया कि देवभूमि उत्तराखंड देवभूमि होने के साथ साथ अपने रीति रिवाज लोक-संस्कृति पर्व कला संगीत गायन वादन इत्यादि के लिए जाना जाता है हमारे प्रदेश में मनाऐ जाने वाले हर पर्व का धार्मिक एवं वैज्ञानिक आधार होता है इसी कड़ी में आता है लोकपर्व हरेला इसे विशेष रूप से पर्यावरण को बचाने के हिसाब से भी ज्यादा महत्व दिया गया है इस दिन हरे भरे पेड़ पौधे लगाने का काम किया जाता है पेड़ पौधे पर्यावरण को संतुलित रखने के साथ साथ भूस्खलन से हमारी प्रकृति को बचाते हैं । आज का दिन श्रावण मास का पहला दिन भी है आज से वर्षा ऋतु शुरू हो जाती है और रवि दक्षिणायन हो जाते हैं अच्छी वर्षा शुरू होने से नदी-नाले प्रयाप्त जल पूर्ण हो जाते हैं जल के नए स्रोत फूटते हैं जिससे हमें वर्ष भर पानी मिलता है और ग्रीष्म ऋतु की गर्मी से राहत मिलती है और हमारे पौधों का संरक्षण होता है हमें शाक सब्जी लोकी कद्दू ककड़ी मक्के दाड़िम अखरोट जैसे फल मिलते हैं कुल मिलाकर हरेला पर्व हरियाली खुशहाली का पर्व है आज पेड़ अवश्य लगाना चाहिए इसका धार्मिक महत्व है आज से शिव मंदिर में पूजा अर्चना शुरू हो जाती है हरेला पर्व को शिव और पार्वती जी से भी जोड़ा जाता है हरेला पर्व के ईष्ट देवता शिव शंकर और पार्वती माता जी हैं पिछले दस दिनों से बोया हरेला जिसमें सात अनाज होते हैं आज पूजा अर्चना के बाद उसे काटा जाता है खीर पूड़ी बड़े भोग लगाएं जाते हैं फिर हरेला भगवान ईष्ट देवता शिव शंकर माता पार्वती सहित सभी देवी देवताओं को चढ़ाया जाता है घर के सीनियर माता दादी बुआ आदि परिवार के सभी सदस्यों को आशिर्वाद देती हैं और सबके कल्याण की कामना करती हैं फिर सभी लोग प्रसन्नता पूर्वक प्रसाद ग्रहण करते हैं आज घर पर रूद्राभिषेक कराने का भी विरोध महत्व है ।।