देहरादून के हल्दूवाला में इन दिनों फिल्म बॉर्डर 2 की शूटिंग जोर-शोर से चल रही है, और इसी सेट पर पहुंचे उत्तराखण्ड फिल्म विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री बंशीधर तिवारी। उनके साथ परिषद के संयुक्त सीईओ डॉ. नितिन उपाध्याय भी मौजूद थे। इस मौके पर उन्होंने फिल्म के अभिनेता सनी देओल और निर्देशक अनुराग सिंह से मुलाकात की और उत्तराखण्ड की फिल्म नीति, लोकेशनों की विविधता और राज्य सरकार द्वारा दिए जा रहे समर्थन पर गहन चर्चा की।
श्री तिवारी ने बताया कि “उत्तराखण्ड की वर्तमान फिल्म नीति, मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में, देश की सबसे प्रगतिशील नीतियों में गिनी जाती है। यहां फिल्म यूनिट को समय से अनुमति, प्रशासनिक सहयोग और स्थानीय संसाधनों की सहज उपलब्धता मिलती है, जिससे शूटिंग का अनुभव बेहद सकारात्मक होता है।”
फिल्म बॉर्डर 2 के निर्माता बिनोय गांधी ने जानकारी दी कि यह फिल्म 1971 के भारत-पाक युद्ध पर आधारित है, और इसके लिए देहरादून के हल्दूवाला में कश्मीर के एक गाँव जैसा भव्य सेट तैयार किया गया है। इस सेट के निर्माण से अब तक प्रतिदिन लगभग 350 स्थानीय लोगों को रोज़गार मिला है।
फिलहाल उत्तराखण्ड कई बड़ी बॉलीवुड फिल्मों का केंद्र बना हुआ है। तनु वेड्स मनु फेम विनोद बच्चन की गिन्नी वेड्स सनी 2 की शूटिंग देहरादून में चल रही है, जिसमें अविनाश तिवारी और 12वीं फेल की मेधा शंकर मुख्य भूमिकाओं में हैं। वहीं, अन्नू कपूर, पवन मल्होत्रा और बिजेंद्र काला अभिनीत कॉमेडी सटायर उत्तर दा पुत्तर की शूटिंग देहरादून और ऋषिकेश में चल रही है।
उत्तराखण्ड का क्षेत्रीय सिनेमा भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। गढ़वाली भाषा में बन रही फिल्में मारचा, तेरी माया और नमक की शूटिंग क्रमशः देहरादून, टिहरी और उत्तरकाशी में हो रही है। इन फिल्मों को स्थानीय संस्कृति, परंपरा और भाषा के साथ-साथ सरकार की तकनीकी सहायता भी मिल रही है, जिससे उत्तराखंडी सिनेमा को एक नई उड़ान मिल रही है।
पिछले कुछ समय में विकी विद्या का वो वाला वीडियो, तिकड़म, दो पत्ती, पुतुल, रौतू का राज, तन्वी द ग्रेट, पास्ट टेंस, केसरी 2 और मेरे हसबैंड की बीवी जैसी कई चर्चित फिल्मों और वेब सीरीज की शूटिंग उत्तराखण्ड में सफलतापूर्वक पूरी की जा चुकी है। वर्ष 2024 में राज्य सरकार ने 225 से अधिक शूटिंग अनुमतियाँ जारी की हैं।
उत्तराखण्ड फिल्म विकास परिषद का लक्ष्य है राज्य को एक ऐसा फिल्म फ्रेंडली डेस्टिनेशन बनाना, जहां निर्माता-निर्देशक न केवल प्राकृतिक सौंदर्य से अभिभूत हों, बल्कि संस्कृति, तकनीक और प्रशासनिक सहयोग की त्रिवेणी उन्हें यहाँ बार-बार खींच लाए।
फिलहाल तो लगता है – बॉलीवुड की कैमरा लाइट्स अब पहाड़ों की ओर घूम गई हैं!

